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नाम दुनिया में कमाना चाहिये / राम प्रसाद शर्मा "महर्षि"

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नाम दुनिया में कमाना चाहिये
कारनामा कर दिखाना चाहिये

चुटकियों में कोई फ़न आता नहीं
सीखने को इक ज़माना चाहिये

जोड़कर तिनके परिदों की तरह
आशियां अपना बनाना चाहिये

तालियाँ भी बज उठेंगी ख़ुद-ब-ख़ुद
शेर कहना भी तो आना चाहिये

लफ्ज़ ‘महरिष’, हो पुराना, तो भी क्या?
इक नये मानी में लाना चाहिये.