भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

नेक दिल / सुधा ओम ढींगरा

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:08, 17 सितम्बर 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुधा ओम ढींगरा }} <poem> वह नेक दिल इन्सान था. लोगों क...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह
नेक दिल
इन्सान था.
लोगों के लिए
भगवान था.

जिसने अपना
सब कुछ लुटाया
ख़ुद को मिटाया
देश आज़ाद हो सके.
भावी पीढ़ी
सुख की साँस ले सके.

कुर्बानी उसकी रंग लाई......

देश आज़ाद हुआ
वह कल की बात हुआ.
समय के साथ
जब उसका ध्यान आया.
लोगों का मन
बहुत झुंझलाया.

तब
झट से
किसी कंकर
पत्थर की सड़क पर
नाम लिखवाया.
चौराहे पर
बुत लगवाया.

विचारों
आदर्शों को
सीधा शमशान पहुँचाया
और
गहरे दफनाया.