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पटना से बैदा बोलाई द्या नजरा गैली गोरिया / अवधी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

साभार: सिद्धार्थ सिंह

पटना से बैदा बोलाई द्या नजरा गैली गोरिया

काहे से आएं बैदा बेटौना,
काहे से आई दवाई रे, नजरा गैली गोरिया

मोटर से आएं बैदा बेटौना,
टेम्पो से आई दवाई रे, नजरा गैली गोरिया

बैदा बेटौना पलंग चढ़ी बैठो,
नाड़ी का रोग बताओ रे,नजरा गैली गोरिया

न इनके गर्मी न इनके सर्दी,
इनके तो चढ़ी है मोटाई रे,नजरा गैली गोरिया