भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पतंग उसने उठाई है इस उठान के साथ / ज्ञान प्रकाश विवेक

Kavita Kosh से
द्विजेन्द्र द्विज (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:30, 14 सितम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज्ञान प्रकाश विवेक |संग्रह=आंखों में आसमान / ज्ञ…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
पतंग उसने उठाई है इस उठान के साथ
ज़रूर बारत करेगा वो आसमान के साथ

उसे चिंगारियों की धमकियाँ न दो लोगो
वो पाँव आग पे रखता है इत्मिनान के साथ

अजीब बात वो तूफ़ान थक के हार गया
लड़ाई जिसने लड़ी काग़ज़ी मकान के साथ

ज़मीं पे चैन से बैठे वो मेमना कैसे
शिकारी बाँध गया है जिसे मचान के साथ

ख़ुदा का ख़ौफ़ नहीं तुझमें न सही लेकिन
मज़ाक अच्छा नहीं दोस्त बेज़बान के साथ

मैं तब से आँख चुराता रहा हूँ अपने से
कि मेरी संधि हुई जबसे बे-ईमान के साथ

वो चार बेटियों का बाप और क्या करता
कि गिरवी रखता रहा ख़ुद को इत्मिनान के साथ