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पनियां पिला दे गोरी / जयराम सिंह
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अइलौ बैसाख ले ले तातल दुपहरिया।
पनियां पिला दे गोरी भरल तोर गगरिया॥
(1)
चढ़ल तोर जुआनी में रूप ई रौदा,
ढौंका के छाहुर में तरकुन के घौदा।
चढ़िये कैसे थर-थर कंप रहल टंगरिया।
पनिया पिला दे गोरी भरल तोर गगरिया॥
(2)
विरह के लहर में झुलसल हम्मर चेहरा,
ढनकल ही जैसे बिन पेंदी के टेहरा,
खोजइत ही कैहने से प्यार के छहुरिया
पनिया पिला दे गोरी भरल तोर गगरिया॥
(3)
लहकल तावा ऐसन धरती के देहिया,
सुलगल अगिया के रखियाऽ ऐसन रहिया,
छाहुर और पानी से तरल तोर गगरिया।
पनिया पिला दे गोरी भरल तोर गगरिया॥