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परम प्रतापी श्री बृजेन्द्र महाराज धन्य / नाथ कवि

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परम प्रतापी श्री बृजेन्द्र महाराज धन्य,
आपके बड़ेन ही ने दिल्ली सर कीनी है।
मार-2 मुगलन कों धूरमें मिलाय दीनों,
सैंन ही में सैंन होत बीर रस भीनी है॥
बारह वर्ष भूरे भेड़ियान सों मचायो जंग,
मेंट बादशाही जाटशाही कर दीनी है॥
मार-मार मेवन कों बृज को बचायो ‘नाथ’
हिन्दुन की लाज आज तेंही रख लीनी है॥