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परितोष / राजकमल चौधरी

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झरल सिंगरहारक फूले सन पीअर मुस्कान करुण
हाँसू लग छटपटाइत माछे सन आँखि अरुण
ने एक्को ठाप नोर, ने एक्कोटा आखर-उपराग
...मात्र धहधह करइत सीँथक सहयोग
सुनू, एतबाटा गप्प हमर, कएने रहु विश्वास
अहीं शशि छी, जावत अछि हृदय हमर आकाश