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पसरेॅ लागलै धूप चिरैया / अश्विनी

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पसरेॅ लागलै धूप चिरैया
गावे लागलै गीत
गल्ला लागी झूमेॅ लागलै
गाँवोॅ केरोॅ प्रीत

के आवै छै रोज यहॉ
जे कस्तूरी रं महकै छै
की संदेश सुनावै रोजे
रस्ता बाटेॅ ठहकै छै
केकरोॅ संदेशोॅ सें सबके
सॉस नै सगीत

के गावै विहुला गाथा
के लोरकाही ठोकैय छै
के भोरकाही गाबी-गावी
गामो रोज जगावै छै
केकरोॅ ऐथैं हृदय-हृदय के
निश्चित होय छै जीत

के तास रं बहियारी में
सांपोॅ नांकी ठनकै छै
पुरबा रं जे लचकै सगरो
पछिया रं धूम मचावै छै
लिखी लिखी चल्लोॅ के जाय छै
कबिरा केरोॅ रीत

गेना रोॅ मंदीरोॅ पर जे
करिया झुम्मर खेलैय छै
मेघोॅ रं मड़रावै सगरो
अंधड़-पानी झेलैय छै
गेंठ-जोड़ी केॅ बीहा रं जे
बनलै सबरोॅ मीत