भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पहला प्यार / इवान बूनिन

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:22, 16 नवम्बर 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKAnooditRachna |रचनाकार=इवान बूनिन |संग्रह=चमकदार आसमानी आभा / इवान ब…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: इवान बूनिन  » संग्रह: चमकदार आसमानी आभा
»  पहला प्यार

मुझे निद्रा ने आ घेरा जब
आँधी चल रही थी और
मौसम बेहद ख़राब था
शोकाकुल मैं थका हुआ
तब पूरी तरह निराश था

पर जागा सुप्तावस्था से जब
सुख सामने खड़ा
धीमे-धीमे मुस्करा रहा था
और मुझे अपनी फूहड़ता पर
बेहद गुस्सा आ रहा था

बादल दौड़ रहे थे ऊपर
हल्की ऊष्मा से भरे हुए
गर्मी के दिन थे चमकदार
आसमान से झड़े हुए
भुर्ज-वृक्षों के नीचे पथ पर
बिछी हुई थी रेत
छाया पेड़ों की काँप रही थी
हरे-भरे थे खेत

उन हरे-भरे खेतों से होकर
समीर सीत्कार रहा था
मेरे दिल में यौवन का जोश
थपकी मार रहा था
सपने बसे हुए थे दिल में
थी तरुणाई की इच्छा
पहले क्यों यह समझ न पाया
मन चीत्कार रहा था

(1902)

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय