भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पिंडदान के गीत / भोजपुरी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:45, 24 दिसम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=भोजपुरी }...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

1

सरगे से आवेले कवन देव (पितरों के नाम लेकर)
बेटा से अरज करे बेटा के होइहें कुल’क
नयकवा अंगन जगिया रोपिहें
गया में पिंडा परिहें।
दुअरे से आवेलं कवन बेटा पिता से अरज करें।
पिता हम होइबों कुल के नयकवा, अंगने जगिया रोपबों,
गया में जगिया रोपबों
सरगे से ऑवेली कवन देइ (पितराइन लोग)
बहू से अरज करें
बहू के होइहें लाली दुलहिनीयां चउरु चढ़ि बइठिहें
कवन बाबू का दाहिन।
ओबरी ले निकलेली कवन देइ सासु से अरज करें हो,
हाथ का सिन्होरा लेले।
सासु हम होइबों लाली दुलहिनियां
चऊक चढ़ि बइठों कवन बाबू के दहिन

2

अमवा लगवले कवन सुख सुनहू राजा दशरथ
जवले मउर नाही लगिहे कवन सुख सुनहु राजा दशरथ
टिकोरा, आम, का लगले कवन सुख सुनहू राजा दशरथ
टिकोरा आम लगले कवन सुख सुनहु...
जवले पुत्र नाहि जनमिहे सुनहु