भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पीअरीय धोतिय, पहिरे गजमोतिया / भोजपुरी
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:52, 24 दिसम्बर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञात |अनुवादक= |संग्रह=थरुहट के ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
पीअरीय धोतिय, पहिरे गजमोतिया, कवने बनवाँ कवने बन ले ले सिकरा।
एक बेझी झरलें, दूसर बेझी झरलें, उठि गइले, उठी गइले,
उठि गइले हरना झंखाड़। मानुसदेवा, मानेसदेवा।।१।।
एक बेझी झरलें, दूसर बेझी झरलें, उठि गइले मजुर पोछियार, मानुसदेवा।
एक बेझी झरलें, दूसर बेझी झरलें, उठि गइले सुअर दन्तार, मानुसदेवा।।२।।