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पूछ्ता हूँ खु़द से मैं, मेरा दिलबर कैसा होगा / शमशाद इलाही अंसारी
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पूछ्ता हूँ खु़द से मैं, मेरा दिलबर कैसा होगा
शायद वो आस्मां के एक सितारे जैसा होगा
माथे पर न सही होठों के नीचे होगा ज़रुर
चाँद से चेहरे पर कहीं तो एक तिल होगा|
वो साँवली सी होगी सावन की घटा जैसी
लगता है उसका चेहरा एक बसंत जैसा होगा।
फूलों-सी चादरों में उसका हुस्न और महका होगा
कतरा मेरे ख़्याल का कोई जब उसको छुआ होगा।
"शम्स" की ग़फ़लत का यारो बिल्कुल बुरा न मानिये
कोई तस्स्व्वुर ख़्वाब में, आज उसे बदल गया होगा।
रचनाकाल : 07.04.2003