भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पूछ्ता हूँ खु़द से मैं, मेरा दिलबर कैसा होगा / शमशाद इलाही अंसारी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:34, 21 अगस्त 2009 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शमशाद इलाही अंसारी |संग्रह= }} Category: कविता <poem> पूछ्...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पूछ्ता हूँ खु़द से मैं, मेरा दिलबर कैसा होगा
शायद वो आस्मां के एक सितारे जैसा होगा

माथे पर न सही होठों के नीचे होगा ज़रुर
चाँद से चेहरे पर कहीं तो एक तिल होगा|

वो साँवली सी होगी सावन की घटा जैसी
लगता है उसका चेहरा एक बसंत जैसा होगा।

फूलों-सी चादरों में उसका हुस्न और महका होगा
कतरा मेरे ख़्याल का कोई जब उसको छुआ होगा।

"शम्स" की ग़फ़लत का यारो बिल्कुल बुरा न मानिये
कोई तस्स्व्वुर ख़्वाब में, आज उसे बदल गया होगा।


रचनाकाल : 07.04.2003