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पूरब की ओर मुँह किए सूरजमुखी के फूल / विनय मिश्र

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पूरब की ओर मुँह किए सूरजमुखी के फूल ।
होते ही भोर खिल उठे सूरजमुखी के फूल ।

उड़ने लगीं हवाइयाँ चेहरे पे ओस के,
जब खिलखिला के हँस पड़े सूरजमुखी के फूल ।

तुम दिन की बात करते हो लेकिन मेरे लिए,
रातों के भी हैं हौसले सूरजमुखी के फूल ।

वो भी इन्हीं की याद में डूबा हुआ मिला,
जिसको पुकारते हैं ये सूरजमुखी के फूल ।

सूरज का साथ देने की हिम्मत लिए हुए,
धरती की गोद में पले सूरजमुखी के फूल ।

मुश्किल की तेज़ धूप का है सामना मगर,
जीते हैं सिर उठा के ये सूरजमुखी के फूल |

सूरज वो आसमान का मुझमें उतर पडा़,
इक बात ऐसी कह गए सूरजमुखी के फूल ।