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पेंटिंग-1 / गुलज़ार

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रात कल गहरी नींद में थी जब

एक ताज़ा-सफ़ेद कैनवस पर

आतिशीं, लाल -सुर्ख रंगों से

मैं ने रौशन किया था इक सूरज-

सुबह तक जल गया था वह कैनवस

राख बिखरी हुई थी कमरे में