भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पैल / राजेन्द्रसिंह चारण

Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:49, 11 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेन्द्रसिंह चारण |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पैल म्हे जाण्यो बै करसी
बै जाण्यो म्हे करस्यां पैल
इयांस दिन निकळगा’र
अणबोली रैयगी
म्हारी प्रीत!