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प्यार / त्रिभवन कौल

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प्यार न वासना है न तृष्णा है
न है किसी चाहत का नाम
प्यार एक कशिश है
भावनाओं का महल है
जिसमे
एहसास की इटें हों
विश्वास की नीव हो
संवेदना का गारा हो
गरिमा का जाला हो
तब प्यार की बेल
आकाश को छूती
पनपती है
यही सृजन है
और
सृजन
सृष्टि का जन्मदाता हैI