भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यार का सितारा / सुनीता शानू

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:30, 9 जुलाई 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुनीता शानू |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

चाँद क्यूँ उदास है
चाँदनी क्यूँ है बुझी-बुझी
रो रही क्यूँ खामोशियाँ हैं
और रात क्यूँ है लुटी-लुटी
देख सारे ये नजारे
फूल क्यूँ सहम गये
चुपके-चुपके
महक छिपाये
सिसक रही है
क्यूँ कलि-कलि
सरसराहट सी हवा में है
जुगनुओं में सरगोशियाँ है
बाद मुद्दत के यहाँ
गिर रही
बिजलियाँ हैं

फुस्फुसाकर
कह गया कोई कहीं
प्यार का इक सितारा
टूट गया
शायद यहीं...