भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्यारा लागै बोल पणिहारी, हेरी पणिहारी / दयाचंद मायना

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:19, 3 सितम्बर 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दयाचंद मायना |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्यारा लागै बोल पणिहारी, हेरी पणिहारी, पणिहारी...टेक

ल्या तेरा आधा बोझ बटाल्यूं
के डर सै थोड़ी दूर लवाल्यूं
ले चालूं नेजू डोल तेरा, दुख पारी, घणा दुख पारी...

लूटै मौज तेरा साजन सै
तू किस भागवान का धन सै
यो जोबन सै अनमोल तेरा कीमत भारी, कीमत भारी...

भजन करेजा हरि हर का
काम नहीं सै डर का
कुल 15 सेर का तोल तेरा, बोझा मण ठारी, बोझा मण ठारी,
मीठा गाणा सुर आनन्द का
सुणती जाईयो राग ‘दयाचंद’ का
हे सच्चे छंद का कोल तेरा, पंसारी, पंसारी...