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प्रजातंत्र के आँधी में / सिलसिला / रणजीत दुधु

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प्रजातंत्र के आँधी में एक दोसरे के सभे धकिअयले हे,
जेकरा जेतना मउका मिल रहल ओतना ऊ तहिअयले हे।

मंतरीजी कयले हका करोड़ो करोड़ के महान घोटाला
गरीब जनता के लगल हके दु शाम ले भी मुँहों में हे ताला
देश में जब नय अँटल तऽ सुईस बंइक में जा सरिअयले
जेकरा जनता मउका मिल रहल ओतना ऊ तहिअयले हे।

दरोगाजी के देखऽ कयसन कर रहला थानेदारी
सउँसे थाना अंचल में चले हे उनके खाली रंगदारी
चोर-उचक्का के पउ-बारह सीधकन के लठिअयले हे
जेकरा जनता मउका मिल रहल ओतना ऊ तहिअयले हे।

मुखियाजी के की कहना चलल योजना मनरेगा
पयदल से बोलोरे पर अयला बनगेला धनरेगा
इंदिरा आवास, विरधा पेंशन में भी पोट्टा पटिअयले हे
जेकरा जनता मउका मिल रहल ओतना ऊ तहिअयले हे।

मास्टर साहब के मिल गेलन पढ़वे लिखवे से छुट्टी
अब तो ऊ खिलवऽ पिलवऽ हथ कर बुतरू के पेटकट्टी
ऊपर से बी.ई.ओ. भी अप्पन हिस्सा फरिअयले हे
जेकरा जनता मउका मिल रहल ओतना ऊ तहिअयले हे।

प्रखंड से लेके सचिवालय तक बान्हल हके कमीशन
घूस लेना आउ देना अब तो दुन्नू हो गेलय फयशन
घूसवाला फाइल उड़ रहल बिना घूसवाला थकिअयले हे
जेकरा जनता मउका मिल रहल ओतना ऊ तहिअयले हे।