भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

प्रेम-एक / ओम नागर

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:20, 7 मई 2014 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम नागर |संग्रह= }} {{KKCatRajasthani‎Rachna}} {{KKCatKavita...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

प्रेम-
होवै तो होज्यां
न्हं होवै तो न्हं होवै
प्रेम के सामै
सब बेबस।