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प्रेम बान जोगी मारल हो / पलटूदास

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प्रेम बान जोगी मारल हो कसकै हिया मोर।।
जोगिया कै लालि-लालि अँखियाँ हो, जस कॅवल कै फूल
हमरी सुरुख चुनरिया हो, दूनौं भये तूल।।
जोगिया कै लेउ मिर्गछलवा हो, आपन पट चीर
दुनौं कै सियब गुदरिया हो, होइ जाबै फकीर।।
गगना में सिंगिया बजाइन्हि हो, ताकिन्हि मोरी ओर
चितवन में मन हरि लिन्हि हो, जोगिया बड़ चोर।।
गंग जमुन के बिचवाँ हो, बहै झिरहिर नीर
तेहिं ठैयां जोरल सनेहिया हो, हरि लै गयौ पीर।।
जोगिया अमर मरै नहिं हो, पुजवल मोरी आस
करम लिखा बर पावल हो, गावै पलटू दास।।