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प्रेम में हूँ इसलिए / राकेश रोहित

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मैं प्रेम में हूँ
इसलिए बेवकूफ हूँ।

मैं दुख में हूँ
इसलिए सिकुड़ा हुआ हूँ।

मैं जागता हूँ
तो रोता रहता हूँ

मैं नींद में हूँ
इसलिए डूबा हुआ हूँ।

तमाम फैले ज्ञानी जन
तैरते रहते हैं जल में

मैं कवि हूँ
इसलिए तल में हूँ।