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फोग / आईदान सिंह भाटी

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मनुष्य जीवन के लिए
तूने निछावर की
अपनी ज​​ड़ें
हम सड़ रहे पड़े-पड़े
जीवन के लिए
यह कैसा रोग
ओ मेरे फोग!

​अनुवाद : सवाईसिंह शेखावत

फोग - एक पौधा