भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बंजर को उद्यान बना दे ऐ मौला / अजय अज्ञात

Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:40, 29 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अजय अज्ञात |अनुवादक= |संग्रह=इज़...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बंजर को उद्यान बना दे ऐ मौला
ख़ुशियों का सामान बना दे ऐ मौला

निर्गुण को गुणवान बना दे ऐ मौला
संतोषी इंसान बना दे ऐ मौला

हर मुश्किल का हल दे कर तू सब के
जीवन को आसान बना दे ऐ मौला

उल्फ़त का माहौल बना कर हर सू ही
प्यारा हिंदुस्तान बना दे ऐ मौला

सच्चाई की राह दिखाकर हम सब का
पुख्ता तू ईमान बना दे ऐ मौला