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बंधु / कुँअर बेचैन

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बंधु।

हम-तुम प्रिय महकते फूल

गेह-तरु की नेह-डाली के।


हम पिता की आँख के सपने

और माँ की आँख के मोती

प्रिय बहन के मन-निलय में भी

रोशनी हम बिन नहीं होती


बंधु।

हम-तुम प्रिय महकते फूल

एक पूजा-सजी थाली के।


एक ही शुभ गीत के प्रिय स्वर

एक ही प्रिय शब्द के अक्षर

हैं उड़ानों की लयें जिनमें

एक पक्षी के सुभग दो पर


बंधु।

हम-तुम महकते फूल

एक क्यारी, एक माली के।