भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बंसी तो बाजी मेरे रंग-महल में / अवधी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:11, 29 अक्टूबर 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=अवधी }} {{KKCat...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बंसी तो बाजी मेरे रंग-महल में

सासू जो ऐहैं राजा चढ़वा चढ़न को,
उनहूँ को नेग दे देना मोरे अच्छे राजा,
उनहूँ को नेग दे देना मोरे भोले राजा,
मोती से उजले राजा,
फूलों से हलके राजा,
तारों से पतले राजा,
नैनों से नैन मिलाना ,मुखड़े से हँस बतलाना,
रंग-महल में ।

जिठनी जो अइहैं राजा, पिपरी पिसन को…
ननदी जो अइहैं राजा छठिया धरन को…
देवर जो अइहैं राजा बंसी बजन को