भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बई जी पांच बधावा म्हारे आविया / मालवी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:04, 29 अप्रैल 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=मालवी }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बई जी पांच बधावा म्हारे आविया
बई जी पांचा री नवी-नवी भांत
झेलो हो रायां री बाई ओ लम्बो
बईजी पेलो बधावो म्हारे आवियो
बईजी भेजो म्हारा ससराजी री पोल
झेलो हो रायां री बाई ओ लम्बो
बई जी ससराजी रंग से बधाविया
बईजी सासू ने लियो खोले झेल
झेलो हो...
बईजी थांका बीरा म्हारी सेरी नीकल्या
बईजी करी गया आड़ी टेड़ी बात
झेलो हो...
बईजी तांबा-पीतल होय तो बदलां
बईजी थांका बीरा बदल्या नी जाय
बईजी कागत होय तो बांचलां
झेलो हो...
बईजी दूसरो बधावो म्हारे आवियो
बईजी भेजो म्हारा जेठजी पोल
बईजी रंग से बधाविया जेठजी
बईजी जेठाणी ने लियो खोला झेल
बईजी तीसरो बधावो म्हारे आवियो
बईजी भेजो म्हारा दादाजी री पोल
बईजी दादाजी रंग से बधाविया
माता ने लियो खोल्यां झेल
झेलो हो...
बईजी चौथो बधावो म्हारे आवियो
बईजी भेजो म्हारा वीराजी री पोल
बईजी वीराजी रंग से बधाविया
बईजी भावज लागे म्हारा पांव
झेलो हो...
बईजी पांचवों बधावो म्हारे आवियो
बईजी भेजो म्हारा सायबजीरी पोल
बईजी सायब रंग से बधाविया
बईजी सायबन लियो खोल्यां झेल