भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बचपन की याद धीरे धीरे प्यार बन गई / राजा मेंहदी अली खान

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:46, 30 जुलाई 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = राजा मेंहदी अली खान }} {{KKCatGeet}} <poem> बचप...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बचपन की याद धीरे धीरे प्यार बन गई
आ देख एक फुलवारी अब गुलज़ार बन गई

दिल में मोहब्बत आई जवानी के साथ-साथ
मेरी दिल की नगरी प्यार का संसार बन गई
आ देख एक फुलवारी ...

दुनिया से जिसको हम ने छिपाया था बार-बार
वो बात आके होंठों पर इक़रार बन गई
आ देख एक फुलवारी ...

फ़िल्म : शहीद (1948)