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बचपन में मैं रोता था / जगदीश रावतानी आनंदम

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बचपन में मैं रोता था
खूब चिल्ला-चिल्ला कर रोता था
माँ-बाप, चाचा-चची, भाई-बहन
सबका खूब प्यार हासिल करता था
हाँ, मैं जानबूझ कर रोता था
अब भी मैं रोता हूँ
पर ये देखता हूँ किसी ने देखा तो नहीं