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बड़ा ही कुरूप रूचिकर कनियो नै कहीं / अनिल शंकर झा

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बड़ा ही कुरूप रूचिकर कनियो नै कहीं
घोॅर राखै जेना गाय गोरू के बथान छै।
रोग के सहाय हितु दुःख आ दरिद्रता के
ज्ञान-विज्ञान लेली संकट महान छै।
धोन आ धरम दै केॅ जियै के भरम लै केॅ
लाजौ के मरण दै केॅ पिन्है परिधान छै।
ऐहनो कुलच्छिनी के साथ दिन रात जियै
तेकरा सें सख्त यहाँ केकरो नै जान छै।