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बड़ी बड़ी लगे यहाँ सबू की चाल बाउजी / संजय चतुर्वेद

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ये शाइरी में हो रिया है क्या वबाल बाउजी

किसू की दाल में गिरा किसू का बाल बाउजी

बिना बड़ा लिखे हुआ बड़ा कमाल बाउजी

बड़ी बड़ी लगे यहाँ सबू की चाल बाउजी

किसू ने कर दिया कहीं जो इक सवाल बाउजी

हया से सुर्ख़ हो गए किसू के गाल बाउजी

जरा कहीं बची रही उसे निकाल बाउजी

किसू के पास है हुनर किसू को माल बाउजी

ये मुर्गियाँ उन्हीं की हैं ये दाल भी उन्हीं की है

उन्हीं के हाथ में छुरी वही दलाल बाउजी

तजल्ली-ए-तज़ाद में अयाँ बला का नूर है

इधर से ये हराम है उधर हलाल बाउजी ।