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बदले बदले मेरे सरकर नज़र आते हैं / शकील बदायूँनी

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बदले बदले मेरे सरकर नज़र आते हैं ।
घर की बरबादी के आसार नज़र आते हैं ।

मेरे मालिक ने मुहब्बत का चलन छोड़ दिया
कर के बरबाद उम्मीदों का चमन छोड़ दिया
फूल भी अब तो ख़ार नज़र आते हैं
घर की बरबादी के ।

डूबे रहते थे मेरे प्यार में जो शाम-ओ-सहर
मेरे चेहरे से नहीं हटती थी कभी जिनकी नज़र
मेरी सूरत से ही बेज़ार नज़र आते हैं
घर की बरबादी के ।