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बहारों ने बनाई हैं शराबें शबनम की / शमशाद इलाही अंसारी

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बहारों ने बनाई हैं शराबें शबनम की
तू गर साथ होता तो कुछ और बात होती|

मेरे आंगन से जुदा हुई ज़ुर्राबें ज़र्द पत्तों की
तेरा हाथ हो अब हाथ में तो कुछ और बात होती।

चांद झूमा है साथ मेरे, थिरके हैं तारे रात भर
चांदनी के इस गुस्ल में तू साथ होता तो कुछ और बात होती।

"शम्स" तेरे जिस्म का ज़र्रा-ज़र्रा अब बन गया है मोती
तेरे धागे में मैं पिर जाँऊ तो कुछ और बात होती।


रचनाकाल: 20.08.2002