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बहुत बा शोर भाई / सूर्यदेव पाठक 'पराग'

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बहुत बार शोर, भाई
लगल बा जोर, भाई

लड़ी केहू घरे में
बनी कमजोर, भाई

ना बीती रात जबले
ना होई भोर, भाई

कहाँ केकर इहाँ बा
कि हम तू तोर, भाई

बड़ा नाजुक बनल बा
दू दिल के डोर, भाई

कुआँ से निकल देखऽ
समुन्दर ओर, भाई