भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बहै छै पुरबा झिलमिल / अंगिका

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:11, 23 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=अंगिका }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बहै छै पुरबा झिलमिल
हे कोसी माय
पछिया बहै छै मधुर
अँगना में कुँइयाँ खनाय दियौ माय कोसिका
बाँटि दियौ रेशम के डोर
झट से अगिया मँगाय दियो कोसी माय
भैरब भैया भुखलो न जाय
साठी धान कुटि के भातबा रान्हलियै
अरहर-मुँगिया के केलौं दालि
जीमय ले बैठलै भैरब छोट भैया
बहिन कोसिका बेनिया डोलाय
बेनिया डोलाबैत चुबै छै पसीना
नैना से ढरे मोती लोर
जनु कानु-खिझु बहिन हे कोसिका
तोरो ले डोलिया हे बनायब
घर पछुअरबा में बसै छै कहरबा
कोसिका झलकैत जेती ससुरारि ।