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बादल और वर्षा (कविता का अंश) / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल

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बादल और वर्षा (कविता का अंश)
 
हे मेघ गामिनी पवन परी,
अथि सजल लोचना सुन्दरी
नभ के कोने कोने से उठ,
उतरो हे मुक्त हे केशिनी।
(वर्षा और बादल कविता का अंश)