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बाल चाँदी हो गये दिल ग़म का पैकर हो गया / अनवर जलालपुरी

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बाल चाँदी हो गये दिल ग़म का पैकर हो गया
ज़िन्दगी में जो भी होना था वह ‘अनवर’ हो गया

अब मुझे कल के लिए भी ग़ौर करना चाहिए
अब मेरा बेटा मेरे क़द के बराबर हो गया

क्या ज़माना है कि शाख़-ए-गुल भी है तलवार सी
फूल का क़िरदार भी अब मिस्ले खंजर हो गया

दिल मे उसअत जिसने पैदा की उसी के वास्ते
दश्त एक आंगन बना सेहरा भी एक घर हो गया

वक़्त जब बिगड़ा तो ये महसूस हमने भी किया
ज़हन व दिल का सारा सोना जैसे पत्थर हो गया