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बुझौवल- खण्ड-1 / अमरेन्द्र

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1
सूँढ़ गणेशोॅ के जे लागै
कभी गणेशोॅ केरोॅ पेट
ओकरोॅ वास्तें बात बरोबर
की छत-छप्पर, धरती-हेट ।
-कद्दू
2
एक गणेश जी हेनोॅ देखलां
सूँढ़ कमर सें लटकै छै
भरी-भरी लड्डू की मिलतै
एक चौॅर लेॅ भटकै छै ।
-मूसोॅ
3
माथा पर छै मुकुट बिराजै
मुँह के नीचें छोटका सूँढ़
बगुलौ सें जादा बगबग छै
जेकरोॅ बोली तिलकुट-गूड़ ।
-शंख
4
कारोॅ बदरा धरती पर
देखी दुश्मन थर, थर, थर
घूमै सबके घरे घर
मारोॅ तेॅ छिलकै ऊपर ।
-छाता
5
बेटा दुबरोॅ कोठी बाप
ब्रह्मा के देलोॅ छै शाप
ओॅन जरो नै कभियो खाय
पानी पीयै ओछरी जाय ।
-गिलास-लोटा
6
एक ठो हेनोॅ छाता छै
तनलोॅ रहै जे सालो भर
छाता में सौ भुरकी झलकै
कपड़ा उड़ै छै फर-फर-फर
जोॅर-जनानी मर-मरदाना
गैया-बकरी ओकरे तर ।
-झबरोॅ गाछ
7
एक छड़ी पर अण्डा नाचै
जै में चिड़ियाँ आवै-जावै
अण्डे गिरै नै छड़िये डोलै
कत्तो कोय्यो जोर लगावै ।
-गाछ
8
भरी मुँहोॅ में ऐला-गोटी
जतना बोली तित्तोॅ छै
मुँह लटकैनें झुलतें रहतौं
सब्भे बल पर जीत्तोॅ छै ।
-करेला
9
एकठो बूढ़ोॅ हेनो भी छै
नाक, कान, जी, कुछुवो नै
भरी मुँह बस दाँते देखोॅ
बोलें; फेरू पूछुवौ नै ।
-भुट्टा

10
लाल पटोरी पिन्ही डायन
जखनी जेकरा चाहै खाय
खाय वक्ती नै पानी पीयै
पीयै तेॅ ऊ मरिये जाय ।
-आगिन