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बे-रुख़ी आपकी हम फिर से गवारा करते / रवि सिन्हा

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 बे-रुख़ी आपकी हम फिर से गवारा करते
हश्र मालूम था पर इश्क़ दुबारा करते

था ग़मे-हिज्र<ref>वियोग का दुःख (sorrow of separation)</ref> को दरकार ये मिरा होना
आप होते अगर हम ख़ुद से किनारा करते

गोया मामूर<ref>आदेशित, नियुक्त (ordered, appointed)</ref> थी क़ुदरत ख़ुदी की ख़िदमत में
सुब्ह ख़ुरशीद<ref>सूरज (Sun)</ref> उन्हें शाम सितारा करते

रू-ब -रू जो कभी अपने से निकल कर होते
ख़ुद को मँज़र<ref>दृश्य (scene)</ref> किया गो ख़ुद ही नज़ारा करते

चीख़ बन जाए है आलम<ref>सृष्टि (universe)</ref> में अकेला होना
तुम भी होते अगर धीमे से पुकारा करते

एक तूफ़ान है तारीख़<ref>इतिहास (history)</ref> सू-ए-मुस्तक़बिल<ref>भविष्य की ओर (towards future)</ref>
जो सुकूँ मिलता तो माज़ी<ref>भूतकाल (past)</ref> को सँवारा करते

फ़ायदा नक़्द में मिलता तो जहन्नम वाले
रोज़ बाज़ार में फ़िरदौस<ref>स्वर्ग (paradise)</ref> उतारा करते

जीत हर बार मिली हार भी हर बार हुई
क्या बुरा था अगर दुश्मन ही से हारा करते

किसका ज़िम्मा कि हो तारीख़ में हलचल पैदा
तुम समन्दर थे तो लहरों को इशारा करते

शब्दार्थ
<references/>