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भले दिन आएँ तो आने वाले बुरे दिनों का ख़याल रखना / राशिद जमाल

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भले दिन आएँ तो आने वाले बुरे दिनों का ख़याल रखना
तमाम खुशियों के जमघटों में भी थोड़ा थोड़ा मलाल रखना

वो जा रहा हो तो वापसी के तमाम इम्कान जान लेना
जो लौट आए तो कैसे गुज़री ये उस से पहला सवाल रखना

अगर कभी यूँ लगे कि सब कुछ अँधेरी रातों के दाओ पर है
तो ऐसी रातों में डर न जाना तो चाँद यादें उजाल रखना

फ़क़त तसन्नो फ़क़त तकल्लुफ़ तमाम रिश्ते तमाम नाते
तो क्या किसी का ख़याल रखना तो क्या रवाबित बहाल रखना

यूँ ही अकेले रहा किए तो उदास होगे निराश होगे
जो आफ़ियत चाहते हो ‘राशिद’ तो चंद रिश्ते सँभाल रखना