भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भवा बिटिया क बियाह / जगदीश पीयूष

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:55, 28 फ़रवरी 2019 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जगदीश पीयूष |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भवा बिटिया क बियाह।
नाहीं बाटै कवनो चाह।

अपनी भगती म हमका लगावा माई जी।
गुन औरौ कवनो जियइ क बतावा माई जी॥

दीन जिनका पियार।
भये बड़े बरियार।

ओनकी भिखिया से हमका बचावा माई जी॥
गुन औरौ कवनो जियइ क बतावा माई जी॥

चाही नाहीं राजपाट।
नाहीं चाही ठाठबाट॥

उहीं अंचरा की छहियां सोवावा माई जी।
गुन औरौ कवनो जियइ क बतावा माई जी॥

फूट कबिरा क भाग।
लागा कमरी प दाग॥

कवनो धोबिया क घटवा धरावा माई जी॥
गुन औरौ कवनो जियइ क बतावा माई जी॥