भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भाई / मुइसेर येनिया

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:09, 6 दिसम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुइसेर येनिया |अनुवादक=मणि मोहन |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं दिखा रही हूँ
एक बार अपनी मुस्कान
एक बार अपना आर्तनाद
इस दुनिया को

ओह पुरुष
हम भाई हैं
इस ध्वंस के ।