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भारत की नैया के खिबैया मुदे जेल बीच / नाथ कवि

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भारत की नैया के खिबैया मुदे जेल बीच।
घुमड़ घटान सी अराजकता छाई है॥
पटरी उखाड़ कहूँ तार तोर-तार डार।
हिय में स्वतन्त्रता की आग सी लगाई है॥
प्रांत गुजरात आज शेर सौं दहाड़त है।
देश हित सरबस हूँ दीनों गवाई है॥
धन्य मद्रास, औ बिहार धन्य धन्य ‘नाथ’।
यू.पी. के निवासिन पताका फहराई है॥