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भालू की दावत / प्रभुदयाल श्रीवास्तव

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चूहे राजा बहुत जोर से,
भालू पर चिल्लाए।
'मेरी बेटी की शादी है,
गिफ्ट क्यों नहीं लाए?

बिना गिफ्ट के तुमको भोजन,
 नहीं मिलेगा भाई।
नहीं देखते कितनी ज्यादा,
बढ़ी हुई महंगाई'।

भालू बोला, 'चूहे राजा,
मत गुस्सा हो भाई।
गिफ्ट बनी है बिल्ली दीदी,
तेरे द्वारे आई।'

ऐसा कहकर भालूजी ने,
डिब्बा एक दिखाया।
म्याऊं-म्याऊं का जिसके भीतर,
से कोमल स्वर आया।

डर के मारे दौड़ लगाकर,
भागे चूहे भाई।
बिना दिए ही गिफ्ट रीछ ने,
दावत खूब उड़ाई।