भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भूमिका / मुइसेर येनिया

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:36, 6 दिसम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुइसेर येनिया |अनुवादक=मणि मोहन |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैं
जब भी
कविता लिखती हूँ,
मेरी आत्मा
नृत्य करती है ।

उस वक़्त
तमाम जगहें,
समय और उम्मीद
मेरे हो जाते हैं ।

यह अस्तित्व का आनन्द है ।

ख़्वाब का दरवाजा
बस, खुलने के
इन्तज़ार में है,
वह जगह
सम्पूर्ण अन्तरात्मा है
ईश्वर की तरह ।