भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

म छु यता कालीवारि / यादव खरेल

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:26, 6 मार्च 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=यादव खरेल |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatNepali...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

म छु यता कालीवारि कालीपारि मेरी माया
मेरो साथ छुटाइदियौ किन ईश्वर मेरै छायाँ

उडुँ भने पंख छैन रिडीपारि तर्नलाई
भेट हुन आस लाग्छ नभेटेरै मर्नलाई
आजै राति मर्छु क्यारे जलिसक्यो मेरो तन
चखेवा जस्तै हरे भइसक्यो प्यासी मन

अर्को जुनी नदे बरु यसै जुनी भेट्न पाऊँ
जन्मजन्म प्यासी बस्छु उनकै प्यास मेट्न पाऊँ
वरत्रकी मेरी उनी परत्रकी उनै डुंगा
कस्तो तिम्रो न्याय हो यो देउता हौ कि तिमी ढुङ्गा