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मंगलाचार मंगलाचार बड़ा सरकार बड़ा दरबार / गढ़वाली

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

मंगलाचार मंगलाचार बड़ा सरकार बड़ा दरबार।
राज मुहल्ली राज मुसद्दी, जुग-जुग जीवै राजाधिराज।
माराज बोलाँदा बद्रीनाथ जै जै कार जै जै कार
पूरबी पच्छिम घाट को राज बड़े,
उत्तरी दक्षिणी घाट को राज बढ़े,
बेटी बेटान को राज बढ़े नाती पूतान को राज बढ़े,
कुल का दिव्वा सब पर नेह करे,
दाता धाता गुण से भरपूर करे,
ग्यानी पंडित सदा गरीब रये, छत्री का हथ रच्छा को सस्त्र रये,
मूसा<ref>चूहा</ref> घाँड<ref>बिल</ref> पैरावै दुलाँ<ref>बिल</ref> बैठे, कागा घाँड पैरावे देस फिरे,
घुंड घुंडौ<ref>बहुत</ref> की दाल, कमर कमर<ref>बहुत</ref> को भात,
चक्खल चक्खल<ref>चहल-पहल</ref> जागिर माँ,
जै सिरी<ref>श्री</ref> ठाकरो जै जै कार सामन्या<ref>सेवा लगाना</ref> ठाकरो सामन्या सा।

शब्दार्थ
<references/>