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मइया जइबउ हमहुँ इसकुलवा / सिलसिला / रणजीत दुधु

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पढ़े लगी लिखे लगी सीखे लगी
मइया जइबउ हमहुँ इसकुलवा-2।

ढेर दिन गड़लिअउ बकरिया के खुटवा
ला दे अब हमरा सिलउट-पिलसुटवा
बाबुजी के चिट्ठिया लिखे लगी
मइया जइबउ हमहुँ इसकुलवा।

गुरूजी हमरा ककहरा सिखइथिन
पढ़ा-लिखा के दुनिया चिन्हइथिन
सुख से ई जिनगी जीये लगी
मइया जइबउ हमहुँ इसकुलवा।

जात-पात के भेद मिटे हे विद्या मंदिर जाके
अदमी जीए ला सिक्खे हे शिक्षा घर में जा के
देशवा के शान पे मिटे लगी-2
मइया जइबउ हमहुँ इसकुलवा।