भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मच्छर और हाथी / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 05:16, 28 सितम्बर 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सर्वेश्वरदयाल सक्सेना |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सूँड उठाकर हाथी बैठा
पक्का गाना गाने,
मच्छर एक घुस गया कान में,
लगा कान खुजलाने।
फट-फट फट-फट तबले जैसा
हाथी कान बजाता,
बड़े मौज से भीतर बैठा
मच्छर गाना गाता!