भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

मछलियाँ देखती हैं सपने / रंजना जायसवाल

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:28, 20 जनवरी 2010 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मछलियाँ देखती हैं सपने
General Book.png
क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
रचनाकार रंजना जायसवाल
प्रकाशक लोकायत प्रकाशन, 11, जयनगर, गिलेट बाज़ार, वाराणसी-221002
वर्ष प्रथम संस्करण 2002
भाषा हिन्दी
विषय कविताएँ
विधा
पृष्ठ 120
ISBN 81-87760-07-09
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।

स्त्री काट रही है ज़ंजीरें

मिल कर देखें अक्स

बेटी-सी हवा

सहजन! तुम क्यों सहज न रहे

तीली से भी डरने लगे हैं लोग